संचय की प्रवृत्ति के साथ, मैं प्रचुर कैसे हूँ, विचार निःशब्द हैं। संचय की प्रवृत्ति के साथ, मैं प्रचुर कैसे हूँ, विचार निःशब्द हैं।
बड़े नामी परिवार की, कुंठित मानसिकता की गवाह हूँ मैं। सीमाओं में सीमित चौखट की, आज़ाद भारत की ग्रामीण ... बड़े नामी परिवार की, कुंठित मानसिकता की गवाह हूँ मैं। सीमाओं में सीमित चौखट की, आ...
वे भी एक मानव है एक प्राणी है उसकी भी कुछ सीमाएं हैं वे भी एक मानव है एक प्राणी है उसकी भी कुछ सीमाएं हैं
फ़ायदा उठाते मज़बूरी का मैंने देखे जन अनेक की थी मदद मेरी जिन्होंने फ़ायदा उठाते मज़बूरी का मैंने देखे जन अनेक की थी मदद मेरी जिन्होंने
मार्गदर्शक जिम्मेदारी की जरूरत महसूस की जा रही है। मार्गदर्शक जिम्मेदारी की जरूरत महसूस की जा रही है।
अपने अस्तित्व के लिए लड़ना दूसरे के अस्तित्व को कम आँकने के लिए बहकना! अपने अस्तित्व के लिए लड़ना दूसरे के अस्तित्व को कम आँकने के लिए बहकना!